बिना सेवा के चित्त शुध्दि नहीं होती और चित्तशुध्दि के बिना परमात्मतत्व की अनुभूति नहीं होती।

आहार से मनुष्य का स्वभाव और प्रक्रति तय होती शाकाहार से स्वभाव शांत रहता मांसाहार मनुष्य को उग्र बनाता है।

जहाँ मैं और मेरा जुड जाता है वहाँ ममता, प्रेम, करुणा एवं समर्पण होते हैं।

स्वधर्म में अवस्थित रहकर स्वकर्म से परमात्मा की पूजा करते हुए तुम्हें समाधि व सिध्दि मिलेगी।

प्रेम, वासना नहीं उपासना है। वासना का उत्कर्ष प्रेम की हत्या है, प्रेम समर्पण एवं विश्वास की परकाष्ठा है।

माता-पिता का बच्चों के प्रति, आचार्य का शिष्यों के प्रति, राष्ट्रभक्त का मातृभूमि के प्रति ही सच्चा प्रेम है।

जीवन भगवान की सबसे बडी सौगात है। मनुष्य का जन्म हमारे लिए भगवान का सबसे बडा उपहार है।

अपनी आन्तरिक क्षमताओं का पूरा उपयोग करें तो हम पुरुष से महापुरुष, युगपुरुष, मानव से महामानव बन सकते हैं।

इन्सान का जन्म ही, दर्द एवं पीडा के साथ होता है। अत: जीवन भर जीवन में काँटे रहेंगे। उन काँटों के बीच तुम्हें गुलाब के फूलों की तरह, अपने जीवन-पुष्प को विकसित करना है।

-स्वामी रामदेव